Baidyanath Jyotirlinga Temple- बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर, हिंदू धर्म के बारह ज्योतिर्लिंग स्थलों में से एक है, जो शिव के सबसे पवित्र निवास स्थानों में से एक है। बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को “कामना लिंग” भी कहा जाता हैं और यह एक सिद्धपीठ भी है।
बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर- महत्वपूर्ण जानकारी
देव | बाबा बैद्यनाथ (भगवान शिव) |
पता | बैद्यनाथ धाम, जिला- देवघर, झारखण्ड- 814112 |
देवता | ज्योतिर्लिंग |
दर्शन समय | सुबह 4:00 से रात 9:00 बजे तक |
पूजा | रुद्राभिषेक, लघुरुद्राभिषेक, गठबंधन पूजा |
दर्शन के लिए सबसे अच्छा समय | जनवरी से दिसंबर |
समारोह /त्योहार | श्रावण, महा शिवरात्रि, कार्तिक पूर्णिमा, हरिहर मिलान (होली) |
निकटतम हवाई अड्डा | बैद्यनाथ धाम का निकटतम हवाई अड्डा देवघर हवाई अड्डा है, जो बैद्यनाथ धाम मंदिर से लगभग 9 किमी दूर है। |
निकटतम रेलवे स्टेशन | बैद्यनाथ धाम का निकटतम रेलवे स्टेशन जसीडीह जंक्शन है, जो देवघर मंदिर से 7 किमी दूर है। |
निकटतम बस स्टैंड | निकटतम बस स्टैंड देवघर बस स्टैंड है, जो बैद्यनाथ धाम मंदिर से केवल 2 किमी की दूरी पर है। |
बैद्यनाथ धाम का महत्व सभी 12 शिव ज्योतिर्लिंग स्थलों में इसलिए भी है क्योंकि यह भारत के 51 शक्ति पीठों में से एक है। यहां माता सती का हृदय गिरा था इसलिय इसे हृदयपीठ भी कहा जाता है।
यहाँ का श्रावणी मेला विश्व विख्यात है। लाखों शिव भक्त श्रावण के महीने में पूजा के लिए सुल्तानगंज से देवघर तक 105 किलोमीटर की दूरी पैदल चल कर गंगा जल ले कर भगवान शिव पर जल चढाने आते हैं |
For Baidyanath Jyotirlinga Shighra Darshan, Puja and Abhishek
बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग कहा है ?
बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर (Baidyanath Jyotirlinga) जिसे बाबा धाम (Babadham) और बैद्यनाथ धाम (Baidyanath Dham) के नाम से भी जाना जाता है, झारखण्ड के देवघर जिला में स्थित है।
देवघर (Deoghar) का शाब्दिक अर्थ देवताओं का घर या निवास है। इसे बैजनाथ धाम, बाबा बैद्यनाथ धाम और बी देवघर के नाम से भी जाना जाता है।
बैद्यनाथ धाम को संस्कृत ग्रंथों में हरीतकी वन और केतकी वन कहा गया है। द्वादसा ज्योतिर्लिंग स्तोत्र में आदि शंकराचार्य बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का उल्लेख किया है:
पूर्वोत्तरे प्रज्वलिकानिधाने, सदावसन्तं गिरिजासमेतं । सुरासुराराधित्पाद्य्पद्मं श्री बैद्यनाथं तमहं नमामि ।।
मत्स्य पुराण बैद्यनाथ धाम को आरोग्य बैद्यनाथ के रूप में भी वर्णित करता है, पवित्र स्थान जहां शक्ति रहती है और लोगों को असाध्य रोगों से मुक्त करने में शिव की सहायता करती है।
देवघर नाम की उत्पत्ति किसी भी लिपि में नहीं मिलती है, लेकिन ऐसा लगता है कि बैद्यनाथ मंदिर के निर्माण के बाद इसे बैद्यनाथ धाम के नाम से जाना जाता है और बाद में इसे देवघर या बी देवघर कहा जाने लगा।
![बाबा बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग मंदिर देवघर - History of Deoghar Temple in Hindi 2 Baidyanath Jyotirlinga Deoghar | Babadham | Baba dham](https://i0.wp.com/deoghar.co/wp-content/uploads/2021/01/shivratri1-e1612087799717.jpg?w=840&ssl=1)
बैद्यनाथ धाम का इतिहास | Baba Baidyanath Dham History in Hindi
देवघर की उत्पत्ति और बैद्यनाथ मंदिर के निर्माता का नाम किसी भी लिपि में नहीं मिलती है। लेकिन कहा जाता है कि मंदिर के सामने के हिस्से के कुछ हिस्सों का पुनर्निर्माण 1596 में राजा पूरन मल द्वारा किया गया था, जो गिद्दौर के महाराजा के पूर्वज थे।
![बाबा बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग मंदिर देवघर - History of Deoghar Temple in Hindi 3 Baidyanath dham deoghar](https://i0.wp.com/deoghar.co/hindi/wp-content/uploads/2021/02/019PHO000001003U00500000SVC1.jpg?resize=202%2C250&ssl=1)
![बाबा बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग मंदिर देवघर - History of Deoghar Temple in Hindi 4 baidyanath dham deoghar temple](https://i0.wp.com/deoghar.co/hindi/wp-content/uploads/2021/02/019PHO000001003U00499000SVC1.jpg?resize=211%2C250&ssl=1)
![बाबा बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग मंदिर देवघर - History of Deoghar Temple in Hindi 5 Vaidyanth temple - Deoghar temple - Deoghat Mandir | बाबा धाम](https://i0.wp.com/deoghar.co/wp-content/uploads/2021/02/unnamed-2.jpg?w=840&ssl=1)
(ये तस्वीरें जोसेफ डेविड बेगलर द्वारा 1872-73 में ली गई थीं और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संग्रह का हिस्सा हैं। मंदिर एक बड़े, पक्के आंगन में स्थित हैं। बेगलर के अनुसार, अधिकांश मंदिर लगभग 400 साल पहले बनाए गए थे और यह शहर लंबे समय से तीर्थयात्रा का एक प्रमुख केंद्र रहा है)
देवघर का यह पूरा क्षेत्र गिधौर के राजाओं के शासन में था, जो देवघर मंदिर से काफी जुड़े हुए थे। राजा बीर विक्रम सिंह ने 1266 में इस रियासत की स्थापना की थी।
हालांकि देवघर के मूल नागरिक पनारी और आदिवासी हैं, लेकिन बाद में कई धार्मिक समूह यहां निवास करने आए। ऐतिहासिक तथ्य कहते हैं कि मैथिल ब्राह्मण यहां 13वीं शताब्दी के अंत में और 14वीं शताब्दी की शुरुआत में मिथिला साम्राज्य से आए थे, जिसे दरभंगा के नाम से जाना जाता है। राधि ब्राह्मण 16वीं शताब्दी के दौरान मध्य बंगाल से यहां आए थे, कन्याकुब्ज भी इसी चरण के दौरान मध्य भारत से आए थे।
1757 में अंग्रेजों द्वारा प्लासी की लड़ाई जीतने के बाद, ईस्ट इंडिया कंपनी ने देवघर और मंदिर का प्रशासन अपने हाथ में ले लिया। ईस्ट इंडिया कंपनी के एक अधिकारी, श्री कीटिंग को मंदिर के प्रशासन को देखने के लिए भेजा गया था। वह बीरभूम के पहले अंग्रेज कलेक्टर थे, उन्होंने मंदिर के प्रशासन में रुचि ली।
![बाबा बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग मंदिर देवघर - History of Deoghar Temple in Hindi 6 बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग | Deoghar temple- देवघर मंदिर](https://i0.wp.com/deoghar.co/wp-content/uploads/2021/02/Temples_at_Deoghar-William_Hodges_1782-768x594.jpg?resize=768%2C594&ssl=1)
1788 में, श्री कीटिंग के आदेश के तहत, श्री हेसिल्रिग, उनके सहायक, जो संभवत: पवित्र शहर का दौरा करने वाले पहले अंग्रेज व्यक्ति थे, तीर्थयात्रियों के प्रसाद और देय राशि के संग्रह की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करने के लिए निकल पड़े।
बाद में, जब श्री कीटिंग ने स्वयं देवघर मंदिर का दौरा किया, तो वे आश्वस्त हो गए और प्रत्यक्ष हस्तक्षेप की अपनी नीति को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए। उसने मंदिर का पूरा नियंत्रण महायाजक (सरदार पंडा ) के हाथों में सौंप दिया।
![बाबा बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग मंदिर देवघर - History of Deoghar Temple in Hindi 7 baijnath dham - बैद्यनाथ धाम देवघर](https://i0.wp.com/deoghar.co/wp-content/uploads/2021/02/s3_V0050000_V0050408-scaled.jpg?w=840&ssl=1)
तब से, प्रधान पुजारी मैथिल ब्राह्मण हैं। उनके पद को ‘सेवायत’ के नाम से जाना जाता है, जो प्रधान पुजारी और धार्मिक प्रशासक भी हैं। वर्तमान में, मंदिर प्रशासन एक ट्रस्ट के अधीन है, जिसके सदस्य राजा गिद्दोर के स्थानीय पुजारी (पंडा) समुदाय के प्रतिनिधि हैं और उपायुक्त देवघर रिसीवर हैं।
![बाबा बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग मंदिर देवघर - History of Deoghar Temple in Hindi 8 बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग | Deoghar mandir - देवघर मंदिर](https://i0.wp.com/deoghar.co/wp-content/uploads/2021/02/Priests_conducting_worship_inside_the_Baijnath_temple.jpg?w=840&ssl=1)
पुजारी ब्राह्मणों का गहरे संबंध मंदिर से हैं। ये सभी पुजारी समूह केवल पुजारी नहीं हैं, बल्कि वे शिव उपासकों, तीर्थयात्रियों और भक्तों को आश्रय और अन्य सहायता देकर सहायता करते हैं। मंदिर की पवित्रता को बनाए रखने में उनका असीम योगदान है।
बैद्यनाथ धाम – सरदार पंडा की सूची
- मुकुंद झा
- जूधन झा
- मुकुंद झा दूसरी बार
- चिक्कू झा
- रघुनाथ झा 1586 में
- चिक्कू झा दूसरी बार
- मल्लू
- सेमकरण झा सरेवार
- सदानंद
- चंद्रपाणी
- रत्नपाणी
- जय नाथ झा
- वामदेव
- यदुनंदन
- टीकाराम 1762 तक
- देवकी नंदन 1782 तक
- नारायण दत्त 1791 तक
- रामदत्त 1810 तक
- आनंद दत्त ओझा 1810 तक
- परमानंद 1810 से 1823 तक
- सर्वानंद 1823 से 1836 तक
- ईश्वरी नंद ओझा 1876 तक
- शैलजानंद ओझा 1906 तक
- उमेशा नंद ओझा 1921 तक
- भवप्रीतानन्द ओझा 1928 से 1970 तक
- अजीता नंद ओझा 06 जुलाई 2017 से 22 मई 2018 तक
- गुलाब नंद ओझा 22 मई 2018 से
रावणेश्वर बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार दशानन रावण भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए हिमालय पर तप कर रहे थे।वह एक-एक करके अपने सिर काटकर शिवलिंग पर चढ़ा रहे थे। 9 सिर चढ़ाने के बाद जब रावण 10वां सिर काटने वाला था तो शिवजी प्रसन्न होकर प्रकट हो गये। उन्होंने उसके दसों सिर ज्यों-के-त्यों कर दिये और उससे वरदान माँगने को कहा।
रावण ने लंका में जाकर शिवलिंग को स्थापित करने के लिये उसे ले जाने की आज्ञा माँगी। शिवजी ने अनुमति तो दे दी, पर इस चेतावनी के साथ दी कि यदि मार्ग में इसे पृथ्वी पर रख देगा तो वह वहीं अचल हो जाएगा। अन्ततोगत्वा वही हुआ।
भगवान शिव के इस निर्णय से सभी देवता चिंतित हो गए और स्वर्ग में विकट स्थिति उत्पन्न हो गई। ऐसा इसलिए था क्योंकि रावण इसका फायदा उठा सकता था और एक दिन स्वर्ग पर राज कर सकता था।
इसलिए, सभी देवताओं ने इसका समाधान खोजने के लिए विष्णु के साथ बैठक करने का फैसला किया। बाद में चर्चा में उन्हें रावण को भगवान शिव को लंका ले जाने से रोकने की योजना मिली।
योजना के अनुसार, गंगा ने राजा रावण के शरीर में प्रवेश किया और उसे लघुशंका करने के लिए मजबूर किया। उसी समय गुरु विष्णु चरवाहे के वेश में सारा दृश्य देख रहे थे। नियंत्रण करने में असमर्थ रावण ने चरवाहे को तब तक लिंग धारण करने के लिए कहा जब तक कि वह मुत्र त्याग नहीं कर देता।
लघुशंका करने में इतना समय लगा क्योंकि उसके शरीर के अंदर गंगा थी। चरवाहा शिवलिंग को पकड़ कर थक गया और उसने शिवलिंग को जमीन पर रख दिया।
लघुशंका निवृत्ति के बाद रावण को हाथ धोने के लिए पानी की जरूरत पड़ी। आसपास पानी का कोई स्रोत नहीं था, इसलिए उसने जमीन से पानी निकालने के लिए अपने अंगूठे से पृथ्वी को दबाया। बाद में इस स्थान ने एक तालाब का रूप धारण कर लिया और इसे शिव-गंगा तालाब के नाम से जाना गया।
![बाबा बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग मंदिर देवघर - History of Deoghar Temple in Hindi 9 Shiv ganga pond deoghar](https://i0.wp.com/deoghar.co/wp-content/uploads/2021/02/12_07_2020-12deo030-c-2.5_20504504_3026.jpg?w=840&ssl=1)
हाथ धोने के बाद रावण शिवलिंग को धरती से उखाड़ने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं कर सके।
गुस्से में उन्होंने शिवलिंग को धरती के अंदर दबा दिया। और इस तरह भगवान शिव के बारह लिंगों में से एक अस्तित्व में आया। इसलिए इसे रावणेश्वर बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि जो लोग यहां आकर शिवलिंग पर गंगा जल चढ़ाते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसलिए इस लिंग को कामना लिंग भी कहा जाता है।
कुछ समय पहले तक, लोग पृथ्वी मे धसे लिंग की पूजा करते थे जब हाल ही में लिंग को पृथ्वी से बाहर निकाला गया।
![बाबा बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग मंदिर देवघर - History of Deoghar Temple in Hindi 10 baidyanath dham shivling image old | Original Shivlinga image Deoghar](https://i0.wp.com/deoghar.co/hindi/wp-content/uploads/2022/01/download-2-edited-1.jpg?w=840&ssl=1)
![बाबा बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग मंदिर देवघर - History of Deoghar Temple in Hindi 11 Baidyanath jyotirling image](https://i0.wp.com/deoghar.co/hindi/wp-content/uploads/2022/01/Baidyanath2-edited.jpg?w=840&ssl=1)
![बाबा बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग मंदिर देवघर - History of Deoghar Temple in Hindi 12 baidyanath jyotirling image](https://i0.wp.com/deoghar.co/hindi/wp-content/uploads/2022/01/unnamed-3-edited.jpg?w=840&ssl=1)
मन्दिर के मुख्य आकर्षण | देवघर मंदिर का रहस्य
ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ एक साथ
यह भारत का एकमात्र स्थान है जहां ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ एक साथ हैं। यहाँ माता सती का हृदय गिरा था इस कारण इसे हृदय पीठ अथवा हार्द पीठ के नाम से भी जाना जाता है । बैद्यनाथ धाम ‘देवघर’ की पुण्य भूमि में ज्योतिर्लिंग रूप मे देवाधिदेव महादेव के साथ माता पार्वती की हृदय प्रदेश का होना बड़े गौरव की बात है, इसे एक दिव्य संगम माना गया है।
बारह ज्योर्तिलिंग में यह एकमात्र ज्योर्तिलिंग है जहां शिवरात्रि के अवसर पर रात्रि प्रहर शिवलिंग पर सिंदूर दान होता है, क्योंकि शिव व शक्ति एक साथ विराजते हैं।
यह भी पढ़ें:
22 मंदिर एक ही परिसर मे
22 मंदिरों वाले बाबा बैद्यनाथ मंदिर परिसर मे ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ मंदिर, शक्ति पीठ माँ पार्वती मंदिर, के अलावे 20 अन्य मंदिर स्थित हैं । परिसर में 22 मंदिरों की सूची:
- बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर (72 फ़ीट ऊँचा मुख्य मंदिर)
- मां काली मंदिर
- मां अन्नपूर्णा मंदिर
- लक्ष्मी नारायण मंदिर
- नील कंठ मंदिर
- माँ पार्वती मंदिर (जय दुर्गा शक्ति पीठ)
- मां जगत जन्नई मंदिर
- गणेश मंदिर
- ब्रह्मा मंदिर
- मां संध्या मंदिर
- काल भैरव मंदिर
- हनुमान मंदिर
- मनसा मंदिर
- मां सरस्वती मंदिर
- सूर्य नारायण मंदिर
- मां बागला मंदिर
- नरवदेश्वर मंदिर
- श्री राम मंदिर
- मां गंगा मंदिर
- आनंद भैरव मंदिर
- गौरी शंकर मंदिर
- माँ तारा मंदिर
चंद्रकांत मणि
बैद्यनाथधाम मंदिर के गर्भगृह में चंद्रकांत मणि है। जिससे सतत जल स्रवित होकर लिंग विग्रह पर गिरता है। बैद्यनाथ ज्योर्तिलिंगपर गिरनेवाला जल चरणामृत के रूप में जब लोग ग्रहण करते हैं तब वह किसी भी रोग से मुक्ति दिलाता है।
चंद्र कूप
चंद्र कूप (कुआं) मंदिर प्रांगण के मुख्य द्वार के पास स्थित है। तत्कालिन सरदार पंडा (1702) चंद्रमणी ओझा ने संत संन्यासी केवट राम की सलाह पर कूप (कुआं) खोदवाया था। यदि आपके पास भगवान शिव को चढ़ाने के लिए गंगा जल नहीं है, तो आप इस कुएं के पवित्र जल का उपयोग भगवान को अर्पित करने के लिए कर सकते हैं।
पंचशूल
इस मंदिर की एक प्रमुख विशेषता यह है कि दुनिया के बाकी मंदिरों में त्रिशूल के विपरीत यहां मंदिर के शीर्ष पर ‘पंचशूल’ है। ‘पंचशूल’ को एक सुरक्षा कवच माना जाता है।
यहाँ प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि से 2 दिनों पूर्व बाबा मंदिर, माँ पार्वती व लक्ष्मी-नारायण के मंदिरों से पंचशूल उतारे जाते हैं। इस दौरान पंचशूल को स्पर्श करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है।
वैद्यनाथधाम परिसर में स्थित अन्य मंदिरों के शीर्ष पर स्थित पंचशूलों को महाशिवरात्रि के कुछ दिनों पूर्व ही उतार लिया जाता है। सभी पंचशूलों को नीचे लाकर महाशिवरात्रि से एक दिन पूर्व विशेष रूप से उनकी पूजा की जाती है और तब सभी पंचशूलों को मंदिरों पर यथा स्थान स्थापित कर दिया जाता है।
इस दौरान बाबा व पार्वती मंदिरों के गठबंधन को हटा दिया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन नया गठबंधन किया जाता है। गठबंधन के लाल पवित्र कपड़े को प्राप्त करने के लिए भी भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है।
पवित्र कांवर यात्रा | श्रावणी मेला
बैद्यनाथधाम के कांवर यात्रा की शुरुआत श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) से होती है जो महीने भर और भाद्र मास तक अनवरत चलता रहता है । उत्तरी भारत के कई राज्यों से श्रद्धालु भक्त तीर्थयात्री सर्वप्रथम उत्तरवाहिनी गंगा से जल लेकर यात्रा प्रारंभ करते हैं और देवघर से लगभग 108 किलोमीटर दूर सुल्तानगंज में गंगा से पवित्र जल चढ़ाने के लिए आते हैं।
हर साल जुलाई और अगस्त के बीच (श्रवण माह) भारत के विभिन्न हिस्सों से लगभग 70 से 80 लाख भक्त शिव को जल अर्पित करने के लिए देवघर पैदल आते हैं। जिसे कांवर यात्रा के नाम से जाना जाता है और इसे कांवरिया मेला या श्रावणी मेला भी कहा जाता है।
बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचें
बैद्यनाथ धाम देवघर – रेल, सड़क और हवाई मार्ग से देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
निकटतम बस्ट स्टैंड:
- देवघर बस स्टैंड – बैद्यनाथ धाम मंदिर 2 किमी दूर है।
देवघर सारवां से 16 किलोमीटर, सारथ से 36 किलोमीटर, जरमुंडी से 41 किलोमीटर, गिरिडीह से 70 किलोमीटर, धनबाद से 132 किलोमीटर, कोडरमा से 148 किलोमीटर और रांची से 254 किलोमीटर दूर है। देवघर, झारखंड राज्य सड़क परिवहन निगम लिमिटेड, पश्चिम बंगाल राज्य सड़क परिवहन निगम लिमिटेड और कुछ निजी सड़क सेवाओं के माध्यम से जुड़ा हुआ है।
निकटतम रेलवे स्टेशन:
- जसीडीह जंक्शन- देवघर मंदिर से 7 किलोमीटर दूर
- देवघर रेलवे स्टेशन- 3 किलोमीटर (लगभग)
- बैद्यनाथ धाम रेलवे स्टेशन -2 किमी
निकटतम रेलवे स्टेशन जसीडीह जंक्शन है जो हावड़ा (कोलकाता) – पटना – नई दिल्ली रेल मार्ग पर है। देवघर रेलवे स्टेशन और बैद्यनाथ धाम रेलवे स्टेशन स्थानीय स्टेशन हैं।
निकटतम हवाई अड्डा:
- बिरसा मुंडा हवाई अड्डा रांची – 250 किमी
- लोक नायक हवाई अड्डा पटना – 255 किमी
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस हवाई अड्डा कोलकाता – 271 किमी
- देवघर हवाई अड्डा– 9 किमी
नई दिल्ली और कोलकाता से देवघर के लिए दैनिक उड़ानें हैं।
कहाँ ठहरें – देवघर मंदिर के निकटतम होटल
आप देवघर के किसी भी अच्छे होटल में ठहर सकते हैं। यहाँ देवघर में सर्वश्रेष्ठ होटलों की सूची दी गई है।
बाबा बैद्यनाथ मंदिर संपर्क जानकारी
पता– शिवगंगा मुहल्ला, बैद्यनाथ गली, जिला- देवघर, झारखंड, पिन – 814112
संपर्क नंबर– +91-9430322655, 06432-232680
ईमेल आईडी– contact@babadham.org
आधिकारिक वेबसाइट– https://babadham.org
मंदिर का समय – सुबह 4 बजे – दोपहर 3:30 बजे और शाम 6 बजे से रात 9 बजे तक। लेकिन विशेष धार्मिक अवसरों पर समय बढ़ाया जा सकता है।
पर्यटक गाइड:
FAQs – बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर, देवघर
1. सुल्तानगंज से बैद्यनाथ धाम की दूरी क्या है?
सुल्तानगंज से बैद्यनाथ धाम की दूरी लगभग 105 किलोमीटर है।
2. देवघर के पास कौन सा रेलवे स्टेशन है?
जसीडीह जंक्शन दिल्ली-हावड़ा मार्ग में देवघर के लिए प्रमुख स्टेशन है जो मंदिर से 7 किमी दूर स्थित है। इसके अलावा दो और लोकल स्टेशन है- ‘देवघर स्टेशन’ और ‘बैद्यनाथ धाम स्टेशन’ ।
3. बाबा धाम के नाम से किस स्थान को जाना जाता है?
देवघर को “बैद्यनाथ धाम”, “बाबा धाम”, ” बैजनाथ धाम” और “बी देवघर” के नाम से भी जाना जाता है।
यह भी पढ़ें: